Mother’s Day पर एक बात समझ में आयी …हम माँ की खूबियों की तारीफ तो हमेशा करते है पर क्या वो माँ सच में Superwoman है या वो अपनी खामियां छुपा रही है इस डर से के हमारा उसके लिए प्यार कम ना हो जाये ..तो इस Mother’s Day मैंने अपनी माँ से ये कहा ..
तेरी प्यारीसी हसी , वो चमकती smile के पीछे के राज़ खोल देती ,
कभी कुछ चुभता तो होगा ना दिल को , माँ , कभी तू भी बोल देती !
रोटी जल गयी है तो क्या , चुपचाप खाने बोल देती
सब्जी नहीं पसंद तो खुद बनाने बोल देती ,
तुम्हारी इन् demands से थक चुकी हूँ मै,यह शिकायत कर देती ,
बिखरे पड़े घर को ignore कर mobile लेके तू भी बैठी रहती ,
मैंने तुम सबका ठेका ले रखा हे क्या , माँ ,कभी तू भी बोल देती!
तेरे tantrums तो बोहोत ज्यादा हो रहे , तू अपना देख ले , मुझसे कभी ये कह देती ,
मेरे problems सुनने की जगह , मुझे चुप करा के कुछ अपने बता देती
आज busy हूँ , तुझसे बात करने time नहीं मेरे पास , कभी मुझे यह सुना देती ,
बहुत कर ली तेरी फ़िक्र ज़िन्दगीभर , अब थोड़ी तू कर ले , माँ , कभी तू भी बोल देती !
ठीक है….अब तक नहीं कहा तूने कुछ …पर अभी भी कुछ बिगड़ा नहीं है
अबसे, मैंने खाना खाया या नहीं , क्या खाया और कब , इसकी चिंता तू ना किया कर ,
पता हे ये self love वगैरा तू नहीं मानती पर
कभी तो मस्त parlor जाकर अपनेआप को pamper कराया कर ,
कभी उल्टा -सीधा बोल दू ना तुझे , तो दो चपेट लगाया कर
मुझे इतना सब बोलने के काबिल तूने बनाया है,इसका एहसास दिलाया कर
मुझे पता है की तुझमे जैसी खुबिया है वैसी कुछ खामिया भी है
हम तुझे कितना भी भगवान बना दे , आखिर तू भी तो इंसान है
तेरी खामियों का असर मेरे प्यार पे होगा ये ख्याल भी ना आने दे
तू जैसी हैं, मेरी है और हमेशा रहेगी इतना मुझपे विश्वास कर ले
बहुत सुंदर
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